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कर्म - लेखनी प्रतियोगिता -26-Jun-2022

मोक्ष रूप परम पद की प्राप्ति में सहायक
निष्काम भाव से करने वाला कहलाए नायक।

कर्मों से ही होती मानव की असली पहचान
कुकर्म कर प्राणी कैसे पाएगा संसार में मान।

ऊपर वाला जब करता है कर्मों का हिसाब
कष्टदायक हो जाती है दुष्कर्मों की किताब।

बन शोषक करे जो अपनी किस्मत पर ग़ुमान
अंत समय पछताए, तड़प-तड़प निकले प्राण।

मनुष्य के कर्म ही उसे बना देते हैं मोहताज
सत्कर्मों से सुदामा भी बन सकता है सरताज।

दिल दुखा कर छीनता है जो किसी की रोटी
कर्म फल से आए रोना चील नोचे बोटी-बोटी।

सफलता की सीढ़ी चढ़ने हेतु दे दूजे को धक्का
दुनिया पर मेहर करने वाला दंड देगा पक्का।

बन मानव संसार में जिंदा रखो इंसानियत
कर्मों से मिलेगा स्वर्ग काम न आए वसीयत।

कर्म किए जा निंदा में करो ना समय बर्बाद
पर निंदा कर हो मन मैला, न हो सकेंगे आबाद।

कर्म है एक मंदिर और कर्म ही सर्वश्रेष्ठ पूजा
सत्कर्मों से बढ़कर जग में पूजन ना कोई दूजा।

मस्तिष्क होगा जब उच्चतम विचारों से भरा
उत्कृष्ट कर्मों का जन्म होगा मन होगा खरा।

सत्कर्मों से किस्मत भी बने तुम्हारी दासी
नीयत की शुद्धता से लगे हर स्थान काशी।

जैसी करनी वैसी भरनी भूलो न ये कहावत
चंदन से शीतलता मिले जो बोवत है सो पावत।

कर्म करे जा फल की इच्छा में ना इसे बिगाड़
अच्छाई संग मिले गौरव बुराई संग सबकी झाड़।

डॉ. अर्पिता अग्रवाल

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9 Comments

Punam verma

27-Jun-2022 08:19 AM

Very nice

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Abhinav ji

27-Jun-2022 07:37 AM

Very nice👍

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Swati chourasia

27-Jun-2022 06:19 AM

बहुत ही खूबसूरत बेहतरीन रचना 👌👌

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